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यीशु का तूफान को शांत करना

गलील झील पर एक तूफान के दौरान यीशु सोता है।
योगदानकर्ता स्वीट पब्लिशिंग
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दिन भर के उपदेश के बाद जब शाम हुई तो यीशु ने अपने चेलों से कहा, 'आओ, गलील झील के उस पार चलें।' – Slide número 1
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वे भीड़ को पीछे छोड़कर नाव में बैठ गए और चल पड़े। – Slide número 2
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गलील की झील की यात्रा लगभ 21 कि.मी थी और वे गिरासेनियों के प्रदेश में जा रहे थे। – Slide número 3
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मौसम शांत था, यीशु बहुत थक चुका था इसलिए वह नाव की तली में एक तकिए पर सिर रखकर सो गया। – Slide número 4
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गलील की झील ऊॅंची पहाडि़यों से घिरी हुई थी जिससे झील में आंधी तूफान आते रहते थे। अचानक एक भयानक तूफान उठा और लहरे नाव से टकराने लगीं। – Slide número 5
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नाव में पानी भर गया और चेले उसे तेजी से निकालने लगे। कुछ चेले अनुभवी मछुआरे थे लेकिन वे फिर भी भयभीत हो गये। नाव डूबने लगी। – Slide número 6
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यीशु अभी भी नाव के पीछले भाग में सो रहा था। चेलों ने उसे उठाया। ‘गुरू, क्या आपको जरा भी चिंता नहीं कि हम डूबने वाले हैं। यीशु ने उनसे कहा, ‘हे अल्पविश्वासियों तुम इतने भयभीत क्यों हो? – Slide número 7
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यीशु ने खड़े होकर तूफान को डांटा और कहा, ‘थम जा।’ – Slide número 8
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और आंधी थम गई, यीशु ने अपने चेलों से पूछा तुम लोग इतना क्यों ड़र गए थे। तुम्हारा विश्वास कहाँ है?’ – Slide número 9
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चेले यीशु की सामर्थ देखकर डर गए और चकित होकर एक दूसरे से पूछने लगे, ‘यह कौन है? आंधी और तूफान भी इसकी आज्ञा मानते हैं। – Slide número 10
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