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दबोरा और बाराक का युद्ध में जाना

दबोरा और बाराक परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं और सीसरा के विरुद्ध युद्ध करते हैं।
योगदानकर्ता स्वीट पब्लिशिंग
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यहोशु के समय के दौरान इस्राएलियों ने परमेश्वर की प्रतिज्ञा के देश का काफी भाग जीत लिया था, लेकिन कुछ भागों पर अब भी कनानियों का कब्जा था। परमेश्वर ने लोगो को उसके व्यवस्था के अनुसार जीवन जीने के लिए उन पर न्यायी नियुक्त किए। – Slide número 1
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जब परमेश्वर ने एक न्यायी को खड़ा किया और लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा मानी तो व सारे युद्धों में विजयी हुए और शांति से बसे रहे। – Slide número 2
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लेकिन न्यायी के मृत्योपरांत लोग परमेश्वर को त्याग देते और दूसरे देवताओं की पूजा करने लगे। जब उन्होंने ऐसा किया तो उनके शत्रुओं ने उन्हे हरा दिया और वे गहरे दुख मे जीवन बिताने लगे (न्यायिओं 2:10-23) – Slide número 3
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एहूद नाम के न्यायी की मृत्य के बाद, परमेश्वर के लोग एक बार फिर से झूठे देवताओं की आराधना करने लगे। इसके परिणाम स्वरूप वे हाजोर के राजा याबीन से हार गये - वह एक कनानी था। – Slide número 4
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राजा याबीन की सेना का सेनापति सिसेरा नाम का व्यक्ति था, वह होरेसेत-हागोयीम में रहा करता था। – Slide número 5
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सिसेरा के पास 900 लोहे के रथ थे, उसने 20 वर्षो तक निर्दयता से इस्राएलियों को दबा रखा। इसके बाद वे परमेश्वर के सामने सहायता के लिए चिल्लाने लगे। – Slide número 6
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लपिदोथ की पत्नी दबोरा एक नबी थी, वह उस समय इस्राएलियों की न्यायी थी। – Slide número 7
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वह दबोरा के खजूर के पेड़ के नीचे बैठा करती जो रामा और बेतेल के बीच में है और सभी इस्राएली अपने मामलों को परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार सुलझाने के लिए वहीं पर जाया करते थे। – Slide número 8
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एक दिन दबोरा ने अबिनोअम के पुत्र बाराक को बुलवाया, वह नप्ताली प्रांत के कादे में रहा करता था। बाराक दबोरा से मिलने दक्षिण की ओर चल दिया। – Slide número 9
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दबोरा ने उससे कहा, ‘इस्राएल के परमेश्वर तुझसे यों कहता है कि तू जूबूलून और नप्तालीे के गोत्र से 10,000 योद्धाओं को एकत्र कर और मैं याबीन के सेनापति को किशोन नदी के पास उसके रथो और योद्धाओं सहित बुलाऊंगा और वहाँ मै तुझे उनके ऊपर विजय दिलाऊंगा। – Slide número 10
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बाराक ने कहा, ‘मैं केवल जब जाऊंगा जब आप मेरे साथ चलेंगी। दबोरा ने कहा मैं तेरे साथ चलूंगी। लेकिन इस कार्य मे तू कोई सम्मान नहीं पाएगा क्योंकि परमेश्वर एक स्त्री के द्वारा सिसेरा पर विजय प्राप्त करेगा। – Slide número 11
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इसलिए दबोरा उसके साथ चली गयी। वे जूबूलून और नप्ताली के गोत्र के लोगों के पास गए, वे गलील के पूर्व में रहते थे। 10,000 योद्धा दबोरा और बारा के साथ ताबोर पर्वत की ओर चल दिए। – Slide número 12
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जब सिसेरा ने बाराक के ताबोर पर्वत जाने के बारे में सुना। उसने अपने 900 लोहे के रथ और सारे योद्धा बुलवा लिए और वे होरोसेत-होग्गोयीम से किशोन नदी की ओर बढ़ने लगे। दबोरा ने बाराक से कहा ‘तैयार हो जा! आज के दिन परमेश्वर तुझे सिसेरा के ऊपर विजय दे रहा, परमेश्वर तेर आगे जा रहा है। – Slide número 13
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वर्षा के कारण किशोन नदी मे बाढ़ आ गई। बाराक ने अपने 10,000 योद्धाओं को ताबोर पर्व के दर्रो में से युद्ध में भेज दिया। सिसेरा के रथ गीली जमीन में धंस गए, उसके सैनिक उन्हें छोड़कर पैदल भाग गए। – Slide número 14
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बाराक ने होरसेत-हागोयीम तक सिसेरा के योद्धाओं को मारते हुए पीछा करता चला गया। लेकिन सिसेरा जान्नानीम की ओर भाग गया, वहाँ पर हेबेर कैनी ने तंबू  गाड़ा हुआ था - वह राजा याबीन का मित्र था उसकी पत्नी का नाम याएल था। – Slide número 15
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याएल सिसेरा से मिलने गई और उससे कहा, ‘श्रीमान मेरे तंबू मे छिप जाइए और घबराइए नहीं वह उसके तंबू में गया। याएल ने उसे प्यास बुझाने के लिए दूध दिया और उसे एक कंबल मे छिपा दिया। सिसेरा ने उसस कहा, यदि कोई तुझसे पूछे तो कहना यहाँ कोई नहीं है।’ – Slide número 16
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लेकिन जब सिसेरा थक कर सो गया तो याएल एक हथौड़ा और कील को लेकर उसके पास गई और उसे उसकी खोपड़ी के पार कर दिया और वह मर गया। – Slide número 17
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जब बाराक सिसेरा का ढूँढ़ते हुए आया, तो याएल बाहर आकर उससे मिली और कहा - आ मैं तुझे उस मनुष्य को दिखाती हूँ जिसे तू ढूंढ रहा है। बाराक उसके पीछे तंबू में गया और वहाँ पर सिसेरा को मरे हुए पाया। – Slide número 18
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उस समय के बाद इस्राएल इतना शक्तिशाली होता चला गया की उसने राजा याबीन को हराकर स्वतंत्रता प्राप्त कर ली। दबोरा ने विजय का गीत लिखा जो उन्होंने  खुशी में गाया।(न्यायियों 5) अगले 40 साल तक देश में शांति बनी रही। – Slide número 19
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