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मूसा और पीतल का सर्प

साँप के काटने से मरने वाले विद्रोही इस्राएलियों को बचाने के लिए मूसा पीतल के एक साँप को खड़ा करता है।
योगदानकर्ता मूडी पब्लिशर्स
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इस्राएल के लोग मिस्र देश को छोड़कर जा रहे थे। परमेश्वर ने उन्हें गुलामी के जीवन से मुक्त कर दिया था और उन्हें एक नए देश में ले जा रहा था जिसका उसने उनसे वादा किया था। – Slide número 1
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मूसा को यहोवा ने लोगों की अगुवाई करने के लिए चुना था। परमेश्वर ने रास्ते में उनकी सभी जरूरतों का ख्याल रखने का भी वादा किया था। यदि वे परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते तो वह उन्हें आशीष देता परन्तु आज्ञा न मनना परेशानियां ला सकती थी। – Slide número 2
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जब वे पारान के जंगल में कादेश में आए, तब उन्होंने अपने डेरे खड़े किए। फिर उन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे उन्हें कनान पहुँचने में 40 साल की देरी हुई और जंगल में भटकना पड़ा। – Slide número 3
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जब उन्होंने सुना कि कनान के वादा किए गए देश को पहुंचना कितना कठिन होगा, तो उन्हें परमेश्वर के वादे पर भरोसा नहीं किया की वह उन्हें मदद करेगा। उन्होंने वादा किए गए देश में जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने दूसरा नेता चुनने और मिस्र वापस जाने की धमकी भी दी। – Slide número 4
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इसलिए, उनके अविश्वास के कारण परमेश्वर ने मूसा से कहा, 'ये लोग जिन्होंने मेरी महिमा और मेरे चमत्कारों को देखा है, वादा किए गए देश में प्रवेश नहीं करेंगे, लेकिन उनके बच्चे ज़रूर करेंगे।' – Slide número 5
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परमेश्वर से मुंह मोड़ने से इस्राएल के लोगों के लिए सभी प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुईं। उन्हें पानी नहीं मिला और वे और उनके जानवर बहुत प्यासे हो गए। – Slide número 6
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उन्होंने मूसा से कड़वी शिकायत की, 'तू हमें मिस्र से क्यों लेकर आया? हम इस मरुभूमि में मर जायेंगे।' – Slide número 7
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मूसा ने उनकी शिकायत के बारे में यहोवा से बात की और परमेश्वर ने उसे बताया कि क्या करना है। 'लोगों को इकट्ठा करो और चट्टान से बात करो, और चट्टान से पानी बहने लगेगा।' – Slide número 8
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मूसा ने आज्ञा मानी और सब को छावनी के बाहर बड़ी चट्टान के साम्हने इकट्ठा किया। फिर उसने अपनी छड़ी से चट्टान पर मारा। – Slide número 9
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परमेश्वर ने चट्टान से चमचमाता हुआ जल प्रवाहित किया ताकि सभी लोग और मवेशी पी सकें। लेकिन यह एकमात्र समस्या नहीं थी जिसका लोगों को सामना करना पड़ा जब वे जंगल के रास्ते आगे बढ़ रहे थे। – Slide número 10
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उन से आगे एदोमियों का गढ़ था। वे ऐसे भयंकर योद्धा थे जो किसी के पास आने पर झपट्टा मारते थे। – Slide número 11
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मूसा ने एदोम के राजा के पास दूतों को भेजा कि वह राजा के राजमार्ग से होकर उनके देश में जाने की आज्ञा मांगे। उन्होंने वादा किया, 'हम आपके खेतों में नहीं जाएंगे और न ही आपके कुओं से पानी पीएंगे।' – Slide número 12
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एदोम के राजा को अपनी दया पर नहीं अपनी शक्ति पर गर्व था। उनका उत्तर स्पष्ट था। – Slide número 13
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'यदि तुम मेरी भूमि पर कदम रखने का साहस करोगे तो मैं तुम पर तलवार से वार करूंगा।' – Slide número 14
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तब मूसा लोगों को एदोम से दूर ले गया, जब तक कि वे होरेब पर्वत पर न आ गए। तब उन्हें और भी बड़े खतरे का सामना करना पड़ा। – Slide número 15
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इस बार कनानी सेना उनके विरुद्ध आ गई। – Slide número 16
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शक्तिशाली सेना के सामने लाचार होकर लोगों ने ईश्वर की ओर रुख किया। और परमेश्वर मदद करने के लिए तैयार थे। – Slide número 17
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एक भयानक लड़ाई लड़ी गई और परमेश्वर ने इस्राएल को एक जबरदस्त जीत दिलाई। – Slide número 18
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परमेश्वर के मदद करने के बावजूद भी ये लोग परमेश्वर के भलाई पर भरोसा नहीं किये। जैसे ही उन्होंने एदोम राज्य के बाहरी सीमा से अपनी यात्रा जारी रखी, वे कुड़कुड़ाने लगे। – Slide número 19
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शिकायत की कि वे यात्रा करते-करते कितने थके हुए थे और पानी की खोज से कितने तंग आ चुके थे। उन्होंने मन्ना के बारे में भी शिकायत की, जो दैनिक भोजन परमेश्वर ने उन्हें भेजा था। – Slide número 20
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उन्होंने न केवल मूसा के बारे में मतलबी बातें कही, बल्कि उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ भी बात की। इसलिए परमेश्वर ने उन्हें यह सिखाने का फैसला किया कि विद्रोह पाप है और उसे दंडित किया जाना चाहिए। – Slide número 21
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डरे हुए इस्राएलियों के बीच एकाएक जहरीले सर्प जंगल से आए। – Slide número 22
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लोगों ने भागने की कोशिश की लेकिन सांप हर जगह थे। बचकर भागने का कोई उपाय नहीं था। – Slide número 23
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कई इस्राएली जहरीले सांप के काटने से मर रहे थे। – Slide número 24
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लोग मूसा के पास आकर कहने लगे, 'हम ने परमेश्वर की आज्ञा न मानी और उसके विरुद्ध बातें की हैं। कृपया परमेश्वर से सांपों को दूर ले जाने के लिए कहें।' – Slide número 25
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तब मूसा ने प्रार्थना की और यहोवा ने उसे बताया कि क्या करना है। 'पीतल का एक साँप बनाओ और उसे एक डंडे पर लटकाओ। हर कोई जिसे काटा गया है, जो उस पीतल के सर्प को देखता है, वह जीवित रहेगा।' – Slide número 26
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जैसा परमेश्वर ने कहा वैसा ही हुआ। जो लोग परमेश्वर पर भरोसा रखते थे और पीतल के सर्प को देखते थे, वे जीवित रहे। जिन्होंने देखने से इनकार किया वे सब मर गए। – Slide número 27
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जिस प्रकार परमेश्वर ने इस्राएलियों को उनके पापों के दंड से मुक्त होने का मार्ग प्रदान किया, उसी प्रकार परमेश्वर ने हमें भी क्षमा करने के लिए एक मार्ग प्रदान किया है। – Slide número 28
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जब यीशु की क्रूस पर मृत्यु हुई तो पीतल के सर्प का अर्थ स्पष्ट हो गया। यीशु ने कहा, 'जैसे मूसा ने जंगल में सांप को उठाया, वैसे ही मनुष्य के पुत्र को भी ऊंचा किया जाना चाहिए, कि जो कोई उस पर विश्वास करता है, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन प्राप्त करे।' यूहन्ना 3:14-14 – Slide número 29
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