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आरंभ में, परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की रचना की। पृथ्वी निराकार और शून्य थी, और गहरे सागर पर अंधकार छा गया था। और परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मँडरा रहा था। – Slide número 1
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और परमेश्वर ने कहा, 'उजियाला हो,' और उजियाला हो गया। तथा परमेश्वर ने देखा कि प्रकाश अच्छा था। और परमेश्वर ने उजाले को अंधकार से अलग किया। परमेश्वर ने उजाले को दिन कहा, और अन्धकार को रात कहा। और सांझ हुई, और भोर हुई, पहला दिन हो गया। – Slide número 2
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और परमेश्वर ने कहा, जल के बीच में एक अन्तर हो, और वह जल को जल से अलग करे। और ऐसा ही हुआ। और परमेश्वर ने विस्तार को स्वर्ग कहा। सांझ हुई, और भोर हुई और दूसरा दिन हो गया। – Slide número 3
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और परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए, और सूखी भूमि दिखाई दे। और वैसा ही हो गया। परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, और जो जल एकत्र हो गया उसे समुद्र कहा। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था। – Slide número 4
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और परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, और बीज वाले पौधे, और फलदार वृक्ष, जिनके बीज उनके बीज के अनुसार होते हैं, पृथ्वी पर उगें, एक एक की जाति के अनुसार। और ऐसा ही हुआ। पृथ्वी से वनस्पति उत्पन्न हुई, और अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज देनेवाले पौधे, और फल देनेवाले वृक्ष, जिनमें उनका बीज होता है, अपनी अपनी जाति के अनुसार उत्पन्न हुए। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था। और सांझ हुई, और भोर हुआ, अर्थात तीसरा दिन हो गया। – Slide número 5
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और परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों। और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण ठहरें, और वे पृथ्वी पर प्रकाश देने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां ठहरें। और ऐसा ही हुआ।<br/>और परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाईं - बड़ी ज्योति दिन पर शासन करने के लिए और छोटी ज्योति रात पर शासन करने के लिए - और तारे। और परमेश्वर ने उन्हें पृथ्वी पर उजियाला देने, दिन और रात पर प्रभुता करने, और उजियाले को अन्धियारे से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में स्थापित किया। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था। और सांझ हुई, और भोर हुआ, अर्थात चौथा दिन हो गया। – Slide número 6
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और परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें। तब परमेश्वर ने बड़े बड़े समुद्री जीव-जंतुओं और सब जीवित प्राणियों की सृष्टि की जो चलते फिरते हैं, और जल जिन से भर जाता है, उनके प्रकार के अनुसार... – Slide número 7
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...और हर एक पंखवाले पक्षी को उसकी जाति के अनुसार। और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा था। और परमेश्वर ने उन्हें यह कहकर आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र में जल भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बहुत बढ़ जाएं। और सांझ हुई, और भोर हुई और पांचवां दिन हो गया। – Slide número 8
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और परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के अनुसार जीवित प्राणी उत्पन्न हों, अर्थात पशु, और रेंगनेवाले जन्तु, और पृथ्वी पर एक एक जाति के अनुसार जन्तु।' और ऐसा ही हुआ। – Slide número 9
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और परमेश्‍वर ने पृथ्वी के सब पशुओं को एक एक जाति के अनुसार बनाया, और एक एक जाति के अनुसार घरेलू पशु, और एक एक जाति के अनुसार भूमि पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं को बनाया। और परमेश्‍वर ने देखा कि यह अच्छा था। – Slide número 10
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तब परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं। – Slide número 11
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'और वे समुद्र की मछलियों और आकाश के पक्षियों पर अधिकार रखें...' – Slide número 12
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'...और पशुओं पर, और सारी पृथ्वी पर, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर।' – Slide número 13
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इसलिये परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, परमेश्वर के स्वरूप के अनुसार उसने उसे उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने उन्हें उत्पन्न किया। – Slide número 14
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और परमेश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया। और परमेश्वर ने उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो, और समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो। – Slide número 15
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और परमेश्वर ने कहा, सुन, जितने बीज वाले पौधे सारी पृथ्वी के ऊपर हैं, और जितने बीज वाले फलदार वृक्ष हैं वे सब मैं ने तुम्हें दे दिए हैं। वे तुम्हें भोजन के लिये मिलेंगे। और पृथ्वी के सब पशुओं, और आकाश के सब पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं, और जितनों में जीवन का प्राण है, उन सभों को मैं ने खाने के लिये सब हरे पौधे दिए हैं।' और ऐसा ही हुआ। और परमेश्वर ने जो कुछ उस ने बनाया था, उस सब को देखा, और क्या देखा, कि वह बहुत अच्छा है। और सांझ हुई, और भोर हुआ, अर्थात् छटवां दिन हो गया। – Slide número 16
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इस प्रकार आकाश और पृथ्वी की रचना हुई। और सातवें दिन परमेश्वर ने अपना काम पूरा किया, और अपने सारे काम से विश्राम किया जो उसने किया था। इसलिये परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी, और उसे पवित्र ठहराया, क्योंकि उस दिन परमेश्वर ने अपने सारे काम से, जो उस ने सृष्टि में किया था, विश्राम किया। – Slide número 17
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